राजस्थान में नेचुरल गैस कनेक्शन नेटवर्क के सुदृढ़ीकरण से उद्योग को मिलेगा प्रोत्साहन
जयपुर l राजस्थान में औद्योगिक विकास को गति देने के लिए मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के सकारात्मक विजन एवं राइजिंग राजस्थान के रुप में किए जा रहे भागीरथी प्रयासों के चलते
उद्यमियों में निवेश के प्रति काफी उत्साह नजर आ रहा है जिससे राज्य सरकार का गैस डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को मजबूत बनाने के लिए लिया गया बुनियादी ढांचे का निर्माण एवं सुदृढ़ीकरण का निर्णय लाभदायी एवं कारगर साबित होने लगा है।
श्री शर्मा प्रदेश में औद्योगिक विकास को बढ़ाने और अधिकाधिक निवेश के लिए उद्यमियों को आमंत्रित करने के लिए भागीरथी प्रयास कर रहे हैं और इस पर उद्यमियों के उत्साह के मद्देनजर राज्य सरकार और अधिक उत्साह के साथ उनके लिए उत्तम सुविधाएं तथा बेहतर माहौल बनाने की दिशा में काम कर रही है। मुख्यमंत्री का कहना है कि राज्य में उद्यमियों का निवेश के प्रति बढ़ते रुझान एवं उत्साह से सरकार भी उत्साहित है और वह उनके लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी।
नेचुरल गैस डिस्ट्रीब्यूशन परियोजनाएं न केवल घरेलू उपभोक्ताओं को बेहतर एवं सुरक्षित गैस सेवा उपलब्ध करायेगी बल्कि औद्योगिक इकाइयों के लिए भी इससे निर्बाध एवं सस्ती ऊर्जा मुहैया हो सकेगी। हाल के वर्षों में नेचुरल गैस की मांग बढ़ी है और नेचुरल गैस का पर्यावरण के अनुकूल स्वच्छ ईंधन होना तथा आर्थिक अनुकूलता इसका प्रमुख कारण रहा है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड द्वारा सिटी गैस डिस्ट्रब्यूशन नेटवर्क को बढ़ाने के उद्देश्य से राजस्थान में 17 भौगोलिक क्षेत्र अधिकृत किए गए हैं। प्रदेश के सभी जिलों में गैस डिस्ट्रब्यूशन परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए 13 संस्थाएं अधिकृत की गई हैं। राजस्थान स्टेट गैस लिमिटेड, हरियाणा सिटी गैस डिस्ट्रब्यूशन लिमिटेड, टोरेंट गैस जयपुर प्राइवेट लिमिटेड, अदानी टोटल गैस लिमिटेड इनमें प्रमुख हैं।
राजस्थान में वर्ष 2032 तक 36,028 किलोमीटर गैस पाइपलाइन के बुनियादी ढांचे के निर्माण, 91.35 लाख घरेलू पाइप नेचुरल गैस (पीएनजी) कनेक्शन तथा 1187 कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) स्टेशन स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।
राज्य में नेचुरल गैस की सप्लाई को बढ़ाने तथा वायु प्रदूषण स्रोतों को कम करने के उद्देश्य से भजनलाल सरकार ने बजट घोषणा-2024 के माध्यम से राज्य के आठ शहर जयपुर, कोटा, अलवर, जोधपुर, उदयपुर, बूंदी, अजमेर और पाली में दो हजार किलोमीटर लम्बी गैस पाइप लाइन बिछाने का काम किया जा रहा है। साथ ही इस वित्त वर्ष में पाइपलाइन के माध्यम से एक लाख नए घरेलू गैस कनेक्शन के लिए आधारभूत सुविधाओं का विस्तार भी होगा। इससे आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक क्षेत्रों में पीएनजी और ऑटोमोटिव क्षेत्रों के लिए सीएनजी की सुविधा पहुंचाकर पर्यावरण क्षति कम होगी।
इस वित्त वर्ष में इन आठ शहरों में गत एक अप्रैल से 30 सितम्बर तक लगभग 33 हजार 229 घरों को गैस लाइन से जोड़ा जा चुका है तथा लगभग 570 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाई जा चुकी है। प्रदेश में अब तक पाइप लाइन से तीन लाख 70 हजार 587 घरेलू गैस कनेक्शन और 489 औद्योगिक कनेक्शन जारी किये जा चुके हैं। इसके साथ ही 364 सीएनजी स्टेशनों के माध्यमों से वाहनों को गैस उपलब्ध कराई जा रही है।
केन्द्र सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने शहरी गैस वितरण नीति का प्रारूप जारी किया है, जिसके आधार पर राजस्थान सरकार द्वारा जल्द राजस्थान शहरी गैस वितरण नीति जारी कर दी जायगी। इस नीति द्वारा राज्य में सीएनजी के विकास के लिए भूमि आवंटन में प्राथमिकता, विभिन्न प्रकार की छूट, आवेदनों के त्वरित निस्तारण की सुनिश्चितता आदि प्रस्तावित हैं।
भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ के बीच सोनियाणा में सिरेमिक एवं टाइल उद्योग को विकसित किया जा रहा है। नेचुरल गैस की उपलब्धता के कारण पिछले दशकों में सिरेमिक टाइल उद्योग में मोरबी (गुजरात) तेजी से बढ़ा है। मुख्यमंत्राी भजनलाल शर्मा के उद्योगों को मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने के इसी दृष्टिकोण से सोनियाणा में नेचुरल गैस पाइपलाइन पहुंचाने का कार्य कराया गया है जिससे इस क्षेत्र से जुड़े उद्योगों को मोरबी की तर्ज पर निवेश करने के लिए प्रोत्साहन मिल सके।
राजस्थान प्रदेश के अन्य शहरों की तुलना में भिवाड़ी में नेचुरल गैस पाइपलाइन की उपलब्धता एवं उद्योगों के स्वच्छ ईंधन पर सम्पूर्ण परिवर्तन भिवाड़ी के औद्योगिक संवर्धन में कारगर रहे हैं। भिवाड़ी के साथ-साथ राजस्थान में आने वाले राष्ट्रीय राजधानी उप-क्षेत्रों में भी पीएनजी सप्लाई अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक होने के कारण इसका लाभ मिला है।
जिस प्रकार भिवाड़ी में सैन्ट गोबेन जैसे उद्योग समूहों ने गैस सप्लाई पर परिवर्तित होकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ग्लास निर्माण के आयाम स्थापित किए हैं, उसी प्रकार से मेवाड़ क्षेत्र में भी मोरबी की तर्ज पर सेरेमिक क्लस्टर प्रस्तावित है। राजस्थान सीमेंट, बिजली, उर्वरक, धातु-आधारित क्षेत्रों के महत्त्वपूर्ण औद्योगिक समूहों की उपस्थिति से संपन्न है। ऐसे परिदृश्य में महत्त्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्रों के दूसरे राज्यों में पलायन को रोकने, औद्योगिक प्रोत्साहन के लिए राज्य में गैस कनेक्शन के नेटवर्क की मजबूती महत्त्वपूर्ण साबित होगी।
उल्लेखनीय है कि बाड़मेर-सांचोर बेसिन एवं जैसलमेर बेसिन में केयर्न-वेदांता, ओएनजीसी, ऑयल इंडिया और फोकस एनर्जी द्वारा किए गए गहन अन्वेषण से इन गैस क्षेत्रों से 10.8 बिलियन क्यूबिक मीटर प्राकृतिक गैस की खोज हुई है वहीं राज्य के पांच जिले अलवर, डीग, भरतपुर, खैरथल-तिजारा, कोटपूतली-बहरोड़ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आने से वायु प्रदूषण की दृष्टि से संवेदनशील हैं। दिल्ली सहित निकटवर्ती क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर बढ़ने पर राज्य के संबंधित जिलों में भी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए निर्धारित आयोग द्वारा चरणबद्ध तरीके से वायु प्रदूषण संबंधित गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाए जाते हैं। इसके साथ ही राज्य के पांच शहर यथा अलवर, जयपुर, जोधपुर, कोटा एवं उदयपुर में वायु प्रदूषण स्तर, निर्धारित मानकों से लगातार ऊपर पाए जाने के कारण विशेष कार्य योजना से रोकथाम करने के प्रयास सरकार द्वारा किए जा रहे हैं।
अब तक दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य शहरी गैस वितरण की दिशा में अग्रणी राज्यों में हैं। राजस्थान अपने लक्षित प्रयासों और नीतिबद्ध दृष्टिकोण के माध्यम से अपने औद्योगिक क्षेत्रों में प्राकृतिक गैस आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ रहा है और राज्य सरकार समय की मांग को ध्यान में रखते हुए नेचुरल गैस से संबंधित आधारभूत ढांचों को विकसित करने के काम में तेजी लाने के साथ ही पाइपलाइन से घरेलू गैस कनेक्शनों के साथ ही औद्योगिक और व्यावसायिक क्षेत्रों में सीएनजी-पीएनजी सेवाओं के विस्तार के लिए प्रयासरत है।
राज्य सरकार आगामी नौ से ग्यारह दिसम्बर को जयपुर में आयोजित होने वाले राइजिंग राजस्थान वैश्विक निवेश शिखर सम्मेलन में सीएनजी-पीएनजी क्षेत्र में निवेश पर जोर दे रही है। साथ ही सिटी गैस ड्रिस्ट्रीब्यूशन संस्थाओं से सीएनजी-पीएनजी क्षेत्र में आधारभूत सुविधाओं के विस्तार के लिए 5700 करोड़ रुपये से अधिक निवेश प्रस्ताव एमओयू कर प्रदेश में स्वच्छ ईंधन के वितरण तंत्र को सुदृढ़ करने का प्रयास है ताकि औद्योगिक प्रोत्साहन की दिशा में नए आयाम स्थापित हों।