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राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र में हिन्दी सप्ताह का समापन

बीकानेर। राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र बीकानेर में शनिवार को  हिन्दी सप्ताह का समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए केंद्र के प्रभागाध्यक्ष डॉ.एस सी मेहता ने कहा की हिंदी को राजभाषा बने अब 75 वर्ष पुरे हो चुके हैं एवं इन 75 वर्षों में हिंदी ने बहुत प्रगति की है, चाहे वह शब्दकोष हो या आम बोलचाल में इसका प्रचलन । इन्हीं कारणों से आज हिंदी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा बन गई है लेकिन अफसोस है कि यह राष्ट्र भाषा नहीं बन पाई । उन्होंने कहा की आज जरुरत  इस बात की है  कि जिस इच्छा शक्ति से  देश में धारा 370 समाप्त की गई, उसी प्रकार की इच्छा शक्ति से इसे एक ही दिन में राजभाषा से राष्ट्र भाषा का दर्जा दिया जाना चाहिए । इस अवसर पर मुख्य अतिथि अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ.राजेश कुमार सावल ने कहा की वह स्वयं न केवल हिंदी में रोज अभिवादन करते हैं बल्कि किसानों के लिए प्रतिदिन कोई न कोई प्रकाशन हिंदी में तैयार करते हैं एवं इसे आगे बढाने का प्रयास करते हैं । उन्होंने इस अवसर पर बहुत अच्छी कविताएँ भी सुनाई । कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि शुष्क क्षेत्र अनुसन्धान केंद्र के अध्यक्ष डॉ नवरतन पंवार,केन्द्रीय शुष्क बागवानी के पूर्व राजभाषा अधिकारी प्रेम प्रकाश परिक,परिसर के राजभाषा अधिकारी सत्यनारायण पासवान ने भी संबोधित किया। समारोह हिंदी शद्ध-अशुद्ध लेखन एवं पोस्टर प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया । समारोह  कार्यक्रम का संचालन सुहेब कुरेशी ने किया एवं कार्यक्रम मे डॉ रमेश,डॉ राव , डॉ कुट्टी , डॉ जितेन्द्र सिंह एवं केंद्र के अन्य अधिकारीयों एवं कर्मचारियों ने भाग लिया।

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